1. राहुल गांधी के आरोप राहुल गांधी ने बेंगलुरु के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 1 लाख से अधिक फर्जी वोट जुड़े होने का दावा किया है। उन्होंने बताया कि यह डेटा चुनाव आयोग द्वारा कांग्रेस को दिए गए दस्तावेजों से निकाला गया है और उसे “आपराधिक सबूत” बताया है ।उन्होंने चुनाव आयोग को कथित तौर पर “परमाणु बम” प्रमाण कहा, यह दर्शाते हुए कि यदि इस सबूत को सार्वजनिक किया गया, तो आयोग की विश्वसनीयता धराशायी हो जाएगी ।राहुल ने महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में वोट चोरी की बात दोहराई, साथ ही दावा किया कि SIR (विशेष गहन समीक्षा) प्रक्रिया गरीबों के मतों को चोरी करने का उद्देश्य लेकर की गई थी ।उन्होंने सोशल मीडिया पर अभियान भी शुरू किया—एक वेबसाइट और मिस्ड कॉल नंबर जारी कर लोगों से डेटा दर्ज करने की अपील की ताकि चुनावी अनियमितता उजागर हो सके ।
2. चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी से कहा है कि यदि वे अपने दावे पर विश्वास करते हैं, तो संबंधित हलफनामा (शपथ पत्र) पर हस्ताक्षर करें; अन्यथा देश से माफी मांगें ।आयोग ने यह बताया कि राहुल के आरोपों को चुनौती देने के लिए कोर्ट में याचिका दायर करना संभव है और नियमों के अनुसार चुनाव आयोग सबूतों को तभी सुरक्षित रखता है ।ECI ने यह भी कहा है कि कांग्रेस नेतृत्व वाले कर्नाटक सरकार द्वारा वही मतदाता सूची ग्राम जनगणना (caste census) के लिए उपयोग की जा रही है—यह सूची की विश्वसनीयता का संकेत है ।
3. विपक्ष और सत्ता पक्ष की प्रतिक्रिया शरद पवार ने राहुल गांधी के वोट फ्रॉड आरोपों का समर्थन करते हुए चुनाव आयोग से जांच की मांग की है, और कहा—”दूध का दूध, पानी का पानी” हो जाना चाहिए ।भाजपा ने राहुल पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि उन्हें आयोग पर विश्वास नहीं है, तो उन्हें लोकसभा सदस्य पद से इस्तीफा देना चाहिए ।
—सारांश तालिकापक्ष मुख्य बिंदु
राहुल गांधी फर्जी वोट, परमाणु बम-सबूत, SIR प्रक्रिया पर आपत्ति, अभियान शुरू किया चुनाव आयोग (ECI) हलफनामा या माफी अपील, प्रमाणों की कानूनी चुनौती, सूची विश्वसनीय होने का दावा अन्य प्रतिक्रियाएँ पवार ने जांच की मांग, भाजपा ने इस्तीफे की सलाह और उपाधानों की रक्षा की इस विवाद ने चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता और लोकतांत्रिक संस्थानों के प्रति भरोसे पर भी सवाल खड़े कर दिए l