रायपुर – फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र के सहारे सरकारी नौकरी कर रहे कर्मचारियों पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है। अदालत ने निर्देश दिया है कि ऐसे सभी संदिग्ध कर्मचारियों का 20 अगस्त 2025 तक राज्य मेडिकल बोर्ड से अनिवार्य भौतिक परीक्षण कराया जाए। कोर्ट ने चेतावनी दी है कि जो कर्मचारी जांच से बचेंगे, उन्हें कारण बताना होगा कि उन्होंने मेडिकल बोर्ड के समक्ष परीक्षण क्यों नहीं कराया। यदि तय समयसीमा तक जांच नहीं कराई गई, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि संबंधित विभागों के अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि उनके यहां कार्यरत सभी संदिग्ध कर्मचारी समय पर मेडिकल जांच कराएं। यदि वे इसमें विफल रहते हैं, तो अधिकारियों की भूमिका भी जांच के दायरे में लाई जाएगी।इस सूची में व्याख्याता मनीषा कश्यप, टेक सिंह राठौर, रवीन्द्र गुप्ता, पवन सिंह राजपूत, विकास सोनी, अक्षय सिंह राजपूत, गोपाल सिंह राजपूत, योगेन्द्र सिंह राजपूत, शिक्षक मनीष राजपूत, सहायक शिक्षक नरहरी सिंह राठौर, राकेश सिंह राजपूत, श्रम विभाग के सहायक ग्रेड-2 नरेन्द्र सिंह राजपूत, कृषि विभाग के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी प्रभा भास्कर, अमित राज राठौर, धर्मराज पोर्ते, नितेश गुप्ता, विजेन्द्र नार्गव, टेकचंद रात्रे, निलेश राठौर, सुरेन्द्र कश्यप, गुलाब सिंह राजपूत, बृजेश राजपूत, प्रयोगशाला सहायक भीष्मराव भोसले, जिला योजना एवं सांख्यिकी विभाग के सहायक ग्रेड-2 सत्यप्रकाश राठौर, उद्यान विभाग की ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी पूजा पहारे और सतीश नवरंग तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के विकास विस्तार अधिकारी राजीव कुमार तिवारी शामिल हैं।
फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र पर नौकरी करने वालों पर हाईकोर्ट का कड़ा रुख
