बीजापुर (छत्तीसगढ़): पत्रकारिता जगत को हिला देने वाले पत्रकार मुकेश चंद्राकर हत्या कांड में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए लोक निर्माण विभाग (PWD) के 5 अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी उस सड़क निर्माण घोटाले से जुड़ी है, जिसकी पोल पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने अपने रिपोर्टिंग कार्य के दौरान खोली थी।
मामला क्या है?
1 जनवरी 2025 को पत्रकार मुकेश चंद्राकर का शव संदिग्ध परिस्थितियों में मिला था। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि उन्होंने गंगालूर‑मिरतूर सड़क निर्माण परियोजना में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का खुलासा किया था। यह सड़क परियोजना मूल रूप से 73 करोड़ रुपये की थी, लेकिन बाद में इसकी लागत बढ़कर 120 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। मुकेश ने अपने समाचार और सोशल मीडिया रिपोर्टिंग में इस घोटाले की गड़बड़ी को सार्वजनिक किया था।
पुलिस की कार्रवाईजांच में घोटाले के तार सड़क निर्माण कार्य से जुड़े कई अधिकारियों तक पहुंचे। बीजापुर पुलिस ने 30 जुलाई 2025 को लोक निर्माण विभाग (PWD) के 5 अधिकारियों को गिरफ्तार किया। इनमें शामिल हैं:दो सेवानिवृत्त कार्यपालक अभियंता (Executive Engineer)एक वर्तमान कार्यपालक अभियंता (EE)एक SDOएक उप-अभियंता (Sub Engineer)इन अधिकारियों पर सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार, बजट हेराफेरी और निम्न स्तरीय निर्माण कार्य करवाने के गंभीर आरोप हैं।
कोर्ट और जांच की स्थिति गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने सभी आरोपियों को न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। इस दौरान उनसे परियोजना में अनियमितताओं, बजट बढ़ोतरी और भ्रष्टाचार से जुड़े अहम सवालों पर पूछताछ की जा रही है। पुलिस का कहना है कि आगे की जांच में और नाम सामने आ सकते हैं तथा इस मामले की परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं।
क्यों हुई हत्या?
जांचकर्ताओं का मानना है कि पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या का सीधा संबंध सड़क निर्माण घोटाले के खुलासे से है। उन्होंने परियोजना में व्याप्त भ्रष्टाचार की जानकारी उजागर की थी, जिससे जुड़े कई प्रभावशाली लोगों को खतरा महसूस हुआ। प्रारंभिक जांच में इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि हत्या की साजिश इसी भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए रची गई थी।
पत्रकारिता जगत में आक्रोश
इस घटना ने पत्रकार सुरक्षा के मुद्दे को फिर से राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में ला दिया है। पत्रकार संगठनों ने मुकेश की हत्या की सख्त निंदा करते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। भारतीय प्रेस परिषद और कई स्वतंत्र पत्रकार संगठनों ने इसे पत्रकारिता पर हमला बताते हुए कहा कि अगर भ्रष्टाचार उजागर करने वाले पत्रकार सुरक्षित नहीं रहेंगे, तो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की नींव हिल जाएगी।आगे की राहबीजापुर पुलिस इस मामले की जांच विशेष जांच दल (SIT) के माध्यम से कर रही है। अधिकारियों ने संकेत दिया है कि जल्द ही इस घोटाले से जुड़े अन्य बड़े नामों का खुलासा हो सकता है। वहीं, राज्य सरकार ने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने का आश्वासन दिया है।