. “कोरबा में पानी का काला कारोबार – अवैध प्लांट से सेहत पर वार”लाइसेंस के बिना पानी का धंधा – प्रशासन की आंखों के सामने सेहत से सौदा”

कोरबा – जिले के कुसमुंडा क्षेत्र में लोगों के स्वास्थ्य के साथ गंभीर खिलवाड़ का मामला सामने आया है। यहां एक अवैध पानी प्लांट संचालित हो रहा है, जहां बिना किसी अनुमति और गुणवत्ता जांच के, प्लास्टिक की सिंटेक्स टंकियों में भरा पानी लोगों को बेचा जा रहा है। स्थिति इतनी चिंताजनक है कि जिस प्रकार का पानी लोग अपने घर की टंकी से पीना तक पसंद नहीं करते, उसी गुणवत्ता का पानी यहां से पैक कर घर-घर पहुंचाया जा रहा है।मामला कुसमुंडा के कूचेना मोड़ स्थित एक मकान का है। यहां 20 लीटर के जार में पानी भरकर खुलेआम बिक्री की जा रही है। स्थानीय लोगों ने इस अवैध गतिविधि की शिकायत क्षेत्र के मीडिया प्रतिनिधियों से की। जब मीडिया की टीम मौके पर पहुंची, तो सच्चाई चौंकाने वाली थी। पूरे मकान के अंदर एक अस्थायी और अवैध पानी प्लांट चल रहा था। बाहर का माहौल गंदगी से भरा हुआ था, वहीं अंदर केवल एक साधारण फिल्टर मशीन और दो बड़े प्लास्टिक के सिंटेक्स डब्बों के जरिए पानी का भंडारण किया जा रहा था।जानकारी के अनुसार, अधिकांश मान्यता प्राप्त वाटर ट्रीटमेंट कंपनियां पीने योग्य पानी के भंडारण के लिए प्लास्टिक टंकियों का इस्तेमाल प्रतिबंधित करती हैं, क्योंकि प्लास्टिक में लंबे समय तक पानी रखने से उसकी गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर पड़ता है। इसके बावजूद यहां बिना किसी मानक के पानी का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है।जब मीडिया टीम ने मौके पर मौजूद प्लांट संचालक रिषभ साहू से इस बारे में सवाल किया, तो उन्होंने स्वीकार किया कि उनके पास न तो कोई सरकारी लाइसेंस है, न पर्यावरण एवं जल संसाधन विभाग से अनुमति, और न ही पानी की गुणवत्ता जांच के लिए कोई प्रयोगशाला। यह स्पष्ट करता है कि यह पूरा कारोबार पूरी तरह अवैध और असुरक्षित है।ऐसे पानी का सेवन करने से लोगों में पेट संबंधी बीमारियों, जलजनित रोगों और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, बिना शुद्धिकरण और गुणवत्ता जांच के पानी का सेवन, विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों के लिए घातक साबित हो सकता है।इस मामले को लेकर स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यदि ऐसे प्लांटों पर समय रहते रोक नहीं लगाई गई, तो यह स्वास्थ्य के लिए बड़ी समस्या बन सकता है। प्रशासन को चाहिए कि मौके पर पहुंचकर जांच करे, पानी के सैंपल लैब में टेस्ट कराए, और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे।कुसमुंडा क्षेत्र के इस मामले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर जिम्मेदार विभाग ऐसे अवैध प्लांटों पर समय रहते नकेल क्यों नहीं कस पाते? क्या लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा केवल कागजों तक सीमित है, या फिर इसके लिए जमीनी स्तर पर ठोस कदम उठाए जाएंगे?