भक्ति सागर – सावन का महीना भगवान शिव की उपासना और कृपा प्राप्ति का पावन समय माना जाता है। इस महीने में शिवभक्त व्रत-उपवास, जलाभिषेक और रुद्राभिषेक के माध्यम से भोलेनाथ को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। ऐसी ही एक कम प्रसिद्ध किंतु अत्यंत मार्मिक कथा है — एक शिकारी और महादेव के बीच घटित भक्ति की यह विलक्षण गाथा।जंगल में फंसा शिकारी और शिवलिंग पर जल चढ़ाने की अनजानी भक्तिकहते हैं, प्राचीन काल में एक शिकारी था जो रोज जंगल जाकर शिकार करता था। एक दिन वह शिकार की खोज में इतना व्यस्त हो गया कि रात हो गई और उसे लौटने का रास्ता नहीं मिला। अंधेरे और जंगली जानवरों के डर से वह एक ऊँचे पेड़ पर चढ़ गया और वहीं रात बिताने का निश्चय किया।जिस पेड़ पर वह चढ़ा था, उसके नीचे एक प्राकृतिक शिवलिंग स्थापित था। शिकारी को इस बात की जानकारी नहीं थी। पेड़ पर बैठा शिकारी रातभर जागता रहा। उसे नींद न आए, इसलिए उसने पास की टहनी से एक-एक पत्ता तोड़कर नीचे गिराना शुरू किया। संयोगवश, वह बेलपत्र का पेड़ था, और गिरने वाले बेलपत्र सीधे शिवलिंग पर गिरते रहे।शिकारी के पास एक पात्र में पीने का पानी भी था, जो धीरे-धीरे टपकता रहा। इस प्रकार अनजाने में वह शिवलिंग पर जलाभिषेक भी करता रहा। सुबह होने पर जब वह नीचे उतरा, तो उसे एक साधु मिला, जिसने कहा – “भोलेनाथ तुम्हारी अनजानी भक्ति से प्रसन्न हैं। तुमने रातभर उनकी पूजा की है, अब तुम्हें कभी अभाव नहीं होगा।”अनजाने में की गई पूजा भी स्वीकारते हैं महादेवइस कथा का संदेश स्पष्ट है — भगवान शिव सरल हृदय और भाव से की गई भक्ति को भी सहर्ष स्वीकारते हैं। सावन में केवल वैदिक विधि-विधान ही नहीं, बल्कि सच्चे मन की आस्था से की गई साधना भी भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है।सावन का यह पावन महीना न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह हमें आस्था, करुणा और शिव की सहजता की भी याद दिलाता है।—(यह कथा शिव पुराण और लोक मान्यताओं पर आधारित है, जो आज भी देश के कई हिस्सों में श्रद्धा के साथ सुनाई जाती है।
सावन में महादेव की एक अनसुनी कथा: जब शिव ने एक शिकारी की भक्ति से प्रसन्न होकर दिया वरदान
