कुसमुंडा (छत्तीसगढ़): सरस्वती शिशु मंदिर, कुसमुंडा गेवरा बस्ती में आज छत्तीसगढ़ के पारंपरिक आंचलिक पर्व भोजली का विधिवत विसर्जन किया गया। इस अवसर पर विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने बड़े उत्साह और सांस्कृतिक उमंग के साथ भाग लिया।छात्रों ने किया भोजली का रोपण और विसर्जन कुछ दिन पूर्व विद्यालय के छोटे बच्चों ने गेहूं के बीज का रोपण किया था, जो समय के साथ अंकुरित होकर भोजली का रूप ले चुका था। यह पर्व छत्तीसगढ़ में प्रेम, भाईचारे और अटूट मित्रता का प्रतीक माना जाता है।संस्कार और संस्कृति के संरक्षण का संकल्प विद्यालय में सभी स्थानीय पर्व हर्षोल्लास से मनाए जाते हैं, जिससे विद्यार्थियों में अपनी संस्कृति और विरासत के प्रति जागरूकता बढ़ती है। कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने अपनी परंपराओं को संजोने और आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
आयोजन में प्रमुखों का मार्गदर्शन
भोजली पर्व का आयोजन प्रमुख श्री बसंत यादव और हेमेंद्र साहू के मार्गदर्शन में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। विद्यालय के प्राचार्य श्री चिंतामणि कौशिक ने आगामी आयोजनों — बुहुला चौथ, खमरछठ, स्वतंत्रता दिवस और जन्माष्टमी — की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि कार्यक्रमों के साथ-साथ अध्ययन-अध्यापन भी सुचारू रूप से चलता रहेगा।
सहभागिता और सहयोग का आश्वासन
इस अवसर पर सभी छात्रों और आचार्यों ने सक्रिय सहभागिता और पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।